पत्र – डेढ़ इंच चौड़े नुकीले 2″ से 6″ तक लम्बे झुके हुए रहते है |
पुष्प – वसंत ऋतू में सफ़ेद या नारंगी रंग के 2″ से 4″ की परिधि में गोल लगते है | सफ़ेद पुष्प वाले वृक्ष अधिक मिलते है | नारंगी रंग के फूलो वाले वृक्ष कम मिलते है | इन्ही नारंगी रंग के फूलो की केशर को नागकेशर कहते है |
रासायनिक संगठन – हलके पीले रंग का तेल निकलता है ‘
गुणधर्म
रस – कसाय
गुण – रुक्ष , लघु , उष्ण , आमपचन , रक्त्स्कंदन |
वीर्य – उष्ण
विपाक – कटु
दोष प्रभाव – पित कफ शामक |
रोग प्रभाव – ज्वर , छर्दी , हल्लास , अतिस्वेद , कंडू , रक्तस्राव , रक्तप्रदर , रक्तार्श |
उपयोग मात्रा – 1 से 2 ग्राम
औषधि प्रयोग अंग – फल एवं पुष्प |
आयुर्वेदिक विशिष्ट योग – नाग्केशरादी योग , नागकेशर चूर्ण , पुष्यानुग चूर्ण |
नागकेशर के स्वास्थ्य लाभ
खांसी – खांसी होने पर नागकेशर की जड़ और छाल का काढ़ा बना कर पिने से खांसी जल्दी ही ठीक हो जाती है |
चर्म रोग – नागकेशर से निकलने वाले तेल को अगर चर्म रोग से प्रभावित स्थान पर लगाया जावे तो आराम मिलता है |
वातरोग / गठिया रोग – वात रोगों में एवं गठिया रोग में नागकेशर के तेल से मालिश करने से गठिया रोग से होने वाले दर्द एवं इसके उपचार में सहायता मिलती है |
खुनी बवासीर – खुनी बवासीर में नाग केशर को रात के समय पानी में भिगो दे सुबह इसे छान कर और शहद मिलकर सेवन करे खुनी बवासीर में तुरंत लाभ होगा |
रक्त प्रदर – रक्तप्रदर में नागकेशर चूर्ण का सेवन करने से जल्दी यह रोग ठीक हो जाता है |
धन्यवाद