शिवाक्षार पाचन चूर्ण | रोगोपयोग एवं बनाने की विधि

शिवाक्षार पाचन चूर्ण

शिवाक्षार पाचन चूर्ण एक बेहतरीन दस्तावर औषधि है | मनुष्य में पेट के मध्यम से ही अधिकतर रोग पनपते है | अगर मनुष्य का पेट अर्थात पाचन प्रणाली सही नहीं है तो उसको जल्द ही अन्य रोग जकड लेते है | आयुर्वेद में कहा भी गया है कि स्वस्थ रहने का रास्ता पेट से होकर जाता है | शिवाक्षार पाचक चूर्ण गैस्ट्रिक एवं कब्ज की समस्या में रामबाण औषधी साबित होती है |

आज कल की भाग दौड़ भरी जिंदगी में गैस्ट्रिक और कब्ज एक आम समस्या हो गई है जो हर घर में देखने को मिलती है | गैस्ट्रिक की समस्या के कारण आपका पूरा दिन बेरंग रहता है | इसलिए आज की इस post में हम आपको गैस्ट्रिक और कब्ज की समस्या से निजत पाने के लिए एक घरेलु और प्रमाणिक औषधि का निर्माण और सेवन विधि बताएँगे |

शिवाक्षार पाचन चूर्ण बनाने की विधि

शिवाक्षर पाचन चूर्ण बनाने के लिए हमें –

हिंग                     –  10 ग्राम

कालीमिर्च             –  10 ग्राम

अजवायन             –   10 ग्राम

छोटी हरेड             –   10 ग्राम

शुद्ध सज्जीखार     –    10 ग्राम

सैंधव नमक         –    10 ग्राम

की आवस्यकता होगी | इन सभी को एक बराबर मात्रा में ले कर | इनको अच्छी तरह कूट – पीसकर और कपडछान कर के साफ़ एवं (Air Tight ) मजबूत डक्कन वाली शीशी में भर लेवे , आपकी गैस्ट्रिक और कब्ज की रामबाण औषधि ” शिवाक्षार पाचक चूर्ण ” तैयार है |

मात्रा और सेवन विधि

शिवाक्षार पाचन चूर्ण को दो तरह से ले सकते है –

घी के साथ – देशी गाय के घी के साथ आधा चम्मच रोज सुबह – शाम  सेवन करे |

गुनगुने पानी के साथ – शिवाक्षार चूर्ण को आधा चम्मच की मात्रा में रोज सुबह शाम सेवन करे |

लाभ

यह चूर्ण वायु तथा वात के सभी प्रकार के रोगों को दूर करता है | इसके सेवन से पेट की अग्नि ठीक होती है |अपान वायु बहार निकल जाती है , कब्ज को भी जड़ से दूर करने में सक्षम है | यह चूर्ण बच्चो में भी लाभ कारी है |

आपके लिए अन्य महत्पूर्ण जानकारी

हिंग्वाष्टक चूर्ण 

अविपत्तिकर चूर्ण 

सितोपलादि चूर्ण 

One thought on “शिवाक्षार पाचन चूर्ण | रोगोपयोग एवं बनाने की विधि

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *